Shri Siddhivinayak Aarti: Jai Dev Jai Dev (श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव)

Shri Siddhivinayak Mandir Mumbai Ka Sabse Prasiddh Bhagwan Shri Ganesh Mandir Hai, Yahan Hone Wali Poorn Aarti Me Shri Ganesh Ki Vibhinn Stutiyan, Bhagwan Shiv Aur Devi Durga Ki Stutiyan Bhi Judi Hain ।

Jai dev jai dev jai mangal murti lyrics

सुख कर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नचि।
नूरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुन्दर उत्तिषेन्दु राची।
कण्ठी झलके माड़ मुख्ता पधानची।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव
जय मंगल मूर्ति.
दर्शन मात्रे मन,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा।
चंदनाची उति कुमकुम के शर।
भाड़े जड़ित मुकुट शोभतो बारा।
रुनझुनाति नुपुरे चारणि घघरिया।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव
जय मंगल मूर्ति.
दर्शन मात्रे मन,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

लम्बोदर पीताम्बर फणीवर वन्दना।
सरल सोन्द वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वत पहे सदना।
संकटति पाववे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वन्दना।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव
जय मंगल मूर्ति.
दर्शन मात्रे मन,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

॥ श्री गणेशाची आरती

शिंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
डौंडिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ ली गुड़ लड्डु सैं सुरवरको।
महिमा कहे न जाई लगत हूं पड़को॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज.
विद्या सुखदता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव॥

अस्तौ सिद्धि दासि संकटको बैरी।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटिसूरजप्रकाश ऐबि छबि तेरी।
गंधस्थलदममस्तक झूले शशिबिहारी॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज.
विद्या सुखदता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव॥

भवभगत से कोई शरणागत आवे।
संतति सम्पति सबहि भरपुर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसाविनन्दन निशिदिन गुन गावे॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज.
विद्या सुखदता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव॥

॥ श्री शंकराची आरती
लवथवती विक्रला ब्रह्माण्डी माला,
विषे कण्ठ कला त्रिनेत्री ज्वाला
लावण्य सुन्दर मस्तकी बाला,
तेथुनिया जाला निर्मला वाहे झूलाझूला॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव
जय श्री शंकर.
आरती ओवलु,
तुजा कर्पूरगौरा
जय देव जय देव॥

कर्पुरागौरा भोला नयनी विशाला,
अर्धांगी पार्वती सुमनंच्या माला,
विभूतिचे उधलाना शितिकन्था नीला,
ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाला ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव
जय श्री शंकर.
आरती ओवलु,
तुजा कर्पूरगौरा
जय देव जय देव

देवी दैत्यि सागरमंथन पै केले
त्यामाजी अवचिता हलाहला जे उठले ते त्वा
असुरपाणे प्राशन केले,
नीलकंठ नाम प्रसिद्ध झाले॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव
जय श्री शंकर.
आरती ओवलु,
तुजा कर्पूरगौरा
जय देव जय देव

व्याघ्रंभरा फणीवरधरसुंदर मदनारी,
पंचानन मनमोहन मुनिजन सुखकारी
शतकोटिचे बीज वाचे उच्चारी,
रघुकुलतिलक रामदास अंतरी ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव
जय श्री शंकर.
आरती ओवलु,
तुजा कर्पूरगौरा
जय देव जय देव

॥ श्री देवीचि आरती
दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीं संसारी,
अनाथनाथे अम्बे करुणा विस्तारी।
वारि वारि जनम मरनते वारि,
हरि पदलो अता संकट निवारी॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमतिनी.
सुरवर ईश्वर वरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी॥

तुजवीन भुवनि पहाता तुज ऐसे नहीं,
चारि श्रमले परंतु न बोलवे कहिन।
सहि विवाद करिता पडिले प्रवाहहि,
ते तु भक्तलगी पवसि लावलहि॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमतिनी.
सुरवर ईश्वर वरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी॥

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसि निजदसा,
क्लेशपसुनि सोदिवि तोदि भावपाशा।
अम्बे तुजवाचुं कोण पुरविल आशा,
नरहरि तेलिन झाला पदपंकजलेषा॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमतिनी.
सुरवर ईश्वर वरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी॥

॥ घलिन लोटंगन आरती
घलिन लोटंगन वंदिन चरन।
डोल्यानि पाहिं रूप तुझे।
देव प्रेमे अलिंगन आनंदे पुजिन।
भावे ओवलिन म्हाने नामा

त्वमेव माता च पिता त्वमेव।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव।
त्वमेव सर्वं मम देव देव॥

कायेना वाचा मनसेन्द्रियेन्वा।
बुद्धात्मना वा प्रकृतिस्वाभावात्।
करोमि यध्यात् सकलं परस्मै।
नारायणयेति समर्पयामि॥

अच्युतम केशवम् रामनारायणम्।
कृष्णदामोदरं वासुदेवं भजे।
श्रीधरं माधवम् गोपिकावल्लभम्।
जानकी नायकं रामचन्द्र भजे

हरे राम हरे राम राम,
राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

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