नवरात्रि पर 5 राजयोग का अद्भुत संयोग, नोट करें कलश स्थापना मुहूर्त, पूजाविधि, मंत्र, सामग्री

Navratri 2024

Chaitra Navratri 2024: इस चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। नवरात्रि पर इस साल 5 राजयोगों का महासंयोग बन रहा है, जो बेहद शुभ माना जा रहा है।

Navratri colours 2023

Navaratri: चैत्र नवरात्रि पूरे देश में धूम-धाम से मनायी जाती है। इस चैत्र नवरात्रों में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। नवरात्रि की शुरूआत जिस दिन से होती है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है। इस साल 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र आरंभ हो रहे हैं, जो 17 अप्रैल तक चलेंगे। कहा जाता है कि घोड़े पर सवार होकर माता रानी का आगमन शुभ नहीं माना जाता। नवरात्र के नौ दिनों तक पूजा-पाठ में विशेष अनुष्ठान से शुभ फल व अनहोनी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्र घंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धि दात्री इन नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है।

नवरात्रि पर अद्भुत संयोग

नवरात्रि में इस बार पांच दिव्य राजयोग का महासंयोग बनेगा। गजकेसरी योग, लक्ष्मी नारायण योग, शश राज योग, बुधादित्य योग और मालव्य राजयोग एक साथ बन रहे हैं। चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इन दोनों योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 32 मिनट से लेकर अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक है। साथ ही चैत्र नवरात्र पर अश्विनी नक्षत्र का भी योग बन रहा है। इन सभी संयोग के बीच मां भगवती की आराधना अति शुभ रहेगी।

नवरात्रों का समापन 17 अप्रैल को होगा। हिंदू नववर्ष की शुरूआत और विक्रम संवत की शुरूआत भी मंगल से ही हो रही है। इसलिए संवत के स्वामी मंगल ही रहेंगे। मंगल की वजह से हिंदू वर्ष काफी अग्रेसिव रहेगा। क्योंकि मंगल साहस, पराक्रम, सेना, प्रशासन, सिद्धांत आदि का कारक ग्रह है। राजा मंगल और मंत्री शनि होने के कारण वर्ष उथल-पुथल भरा रहेगा। 

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

  • 9 अप्रैल को कलश स्थापना का मुहूर्त- सुबह 6.11 बजे से सुबह 10.23 बजे तक।
  • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 बजकर 54 मिनट तक।

इस अभीजित मुहूर्त में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य किया जा सकता है।

पूजा-विधि
सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें 
माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं 
दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें 
पान के पत्ते पर कपूर रख माता की आरती करें।
अंत में क्षमा प्राथर्ना करें। 

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 गजकेसरी योग, लक्ष्मी नारायण योग, शश राज योग, बुधादित्य योग और मालव्य राजयोग

मंत्र- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

पूजा की सामग्री 

  • जौ 
  • धूप
  • फूल
  • पान
  • फल
  • लौंग
  • दुर्वा
  • कपूर
  • अक्षत 
  • सुपारी
  • कलश 
  • कलावा
  • नारियल
  • इलायची
  • लाल चुनरी
  • लाल वस्त्र
  • पान के पत्ते 
  • लाल चंदन 
  • घी का दीपक
  • श्रृंगार का सामान